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11/02/2013

दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें



इस दीवाली है ये विनती—तुम इतना करना मेरे राम
दिलों में पल रही तमिस्रा में, जल उठें दिये अविराम
स्वस्थ सुखी सम्पन्न रहें सब, कोई भी आँख नम ना हो
मधुर शाँति का स्वर गूँजे, आशायें सबकी पूरी हों


गीता मल्होत्रा गीतम
 

10/18/2013

उदासी



कुछ देर मुझे उदास रह लेने दो
उदासी को यहाँ ठहर जाने दो
ये तो बन संगिनी दुख की चली आई है
मत दबाओ इसे, मुझे दुख तक पहुँचने दो

मत रिझाओ मुझे, तुम्हारे
मनोरंजनों के जुगनुओं से
कुछ परिचय बढ़ाऊँ इसकी स्याही से, तो जानूँ
कि छुपी कहाँ दुख में चाँदी की रेखा है

पक जाने दो इस उदासी को
बह जाने दो मवाद इसका
झूठी खुशी के लेप मत
लगाओ इसको

पूछ लूँ सारे प्रश्न गहन,
सीख लूँ गणित भाग्य औ पुरुषार्थ का
जब दुख स्वयं ही आया है
ये पाठ पढ़ाने मुझको

इजाजत मेरी है तुम्हें, हे उदासी
व्यक्त कर लो तुम भी खुद को
तुम ही तो पूरक हो खुशी की
तुम्हारे बिना खुशी कहाँ ?

कुछ देर मुझे उदास रह लेने दो
उदासी को यहाँ ठहर जाने दो
                           गीता मल्होत्रा



10/15/2013

मैं एक पूर्ण वृत



नहीं चाहती
कोई समझे मुझको अर्ध वृत
और बन कर चाप
करना चाहे मुझको पूर्ण
क्योंकि मैं स्वयं एक पूर्ण वृत हूँ

10/09/2013

काश..ऐसा न होता





वह बचपन निराश,
उदास...
सूखा बदन
महीन रुदन
उभरती पसलियाँ
ओठों पर पपड़ियाँ
उदासीन निगाहें
टहनियों सी बाहें
कह नहीं वो  पाया
मन में था ये समाया
मुट्ठी भर अनाज
एक बोतल दूध
अंजलि भर करूणा
काश...ऐसा न होता

लबालब भंडार
कहती सरकार
पर पड़ गया है गाज
सड़ रहा अनाज
जन्मदिन, शादी मनाते
छलक जाती हैं दावतें
वैभवशलियों के
फैलते साम्राज्य
बहुलता में है खाद्य
कितना भी हो व्यर्थ
नहीं कोई अर्थ
काश...ऐसा भी न होता
                     गीता मल्होत्रा