कूजन
Hindi-Urdu Poetry
11/02/2013
10/18/2013
उदासी
कुछ
देर मुझे उदास रह लेने दो
उदासी
को यहाँ ठहर जाने दो
ये
तो बन संगिनी दुख की चली आई है
मत
दबाओ इसे, मुझे दुख तक पहुँचने दो
मत
रिझाओ मुझे, तुम्हारे
मनोरंजनों
के जुगनुओं से
कुछ
परिचय बढ़ाऊँ इसकी स्याही से, तो जानूँ
कि
छुपी कहाँ दुख में चाँदी की रेखा है
पक
जाने दो इस उदासी को
बह
जाने दो मवाद इसका
झूठी
खुशी के लेप मत
लगाओ
इसको
पूछ
लूँ सारे प्रश्न गहन,
सीख
लूँ गणित भाग्य औ पुरुषार्थ का
जब
दुख स्वयं ही आया है
ये
पाठ पढ़ाने मुझको
इजाजत
मेरी है तुम्हें, हे उदासी
व्यक्त
कर लो तुम भी खुद को
तुम
ही तो पूरक हो खुशी की
तुम्हारे
बिना खुशी कहाँ ?
कुछ
देर मुझे उदास रह लेने दो
उदासी
को यहाँ ठहर जाने दो
गीता मल्होत्रा
10/15/2013
मैं एक पूर्ण वृत
नहीं
चाहती
कोई
समझे मुझको अर्ध वृत
और
बन कर चाप
करना
चाहे मुझको पूर्ण
क्योंकि
मैं स्वयं एक पूर्ण वृत हूँ
10/09/2013
काश..ऐसा न होता
वह
बचपन निराश,
उदास...
सूखा
बदन
महीन
रुदन
उभरती
पसलियाँ
ओठों
पर पपड़ियाँ
उदासीन
निगाहें
टहनियों
सी बाहें
कह
नहीं वो पाया
मन
में था ये समाया
मुट्ठी
भर अनाज
एक
बोतल दूध
अंजलि
भर करूणा
काश...ऐसा
न होता
लबालब
भंडार
कहती
सरकार
पर
पड़ गया है गाज
सड़
रहा अनाज
जन्मदिन,
शादी मनाते
छलक
जाती हैं दावतें
वैभवशलियों
के
फैलते
साम्राज्य
बहुलता
में है खाद्य
कितना
भी हो व्यर्थ
नहीं
कोई अर्थ
काश...ऐसा
भी न होता
गीता मल्होत्रा
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